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बरसात के मौसम में पपीते और केले की फसल की सुरक्षा कैसे करें, जानिए इन बातों का रखे ध्यान

बरसात के मौसम में पपीते और केले की फसल की सुरक्षा कैसे करें, जानिए इन बातों का रखे ध्यान
पपीता और केला की खेती

बरसात के मौसम में पपीते और केले की फ़सलों में कई प्रकार की बीमारियां, रोग और कीट लगने की संभावना रहती है। मानसून का मौसम जलभराव, फंगल संक्रमण आदि इन फसलों को प्रभावित करते हैं। इन फसलों के प्रबंधन के लिए सावधानीपूर्वक उचित किस्म का चुनाव, प्रभावी जल और पोषक तत्व प्रबंधन और रोगों तथा कीटों का नियंत्रण करने की आवश्यकता होती है। पपीता एक उष्णकटिबंधीय फल है, जिसकी भारत में अपने उच्च पोषण मूल्य और बाजार में मांग भी अधिक रहती है। हालांकि बारिश के मौसम में उत्तर भारत के क्षेत्र में पपीते की फसल में कई तरह की बीमारियों देखने को मिली है। बरसात के मौसम में केले और पपीते की फसलो के प्रबंधन करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

पपीते की फसल को कैसे सुरक्षित रखें How to protect papaya crop:

  • बरसात के मौसम में पपीते की खेती के लिए, स्थान का चयन महत्वपूर्ण है। 
  • पपीते की खेती के लिये अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। 
  • बरसात के मौसम में सही व बेहतर गुणवत्ता वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए। 
  • खेत की अच्छी, गहरी जुताई करने के लिए हैरोइंग करनी चाहिए। 
  • बरसात के मौसम में पपीते के पौधों के दोनों तरफ क्यारियां बनाकर बुवाई करनी चाहिए।  
  • बरसात के मौसम में इसके पौधों में संतुलित उर्वरक की मात्रा का उपयोग करना चाहिए। 
  • मल्चिंग करने से मिट्टी की नमी बनाए रखने और मिट्टी के कटाव को कम करने में मदद मिल मिलती है।

पपीते के पौधे में रोग और कीट प्रबंधन Disease and pest management in papaya plant:

  • पपीता रिंगस्पॉट वायरस (PRSV) - वायरस प्रतिरोधी किस्में लगाएं और फसल चक्र अपनाएं। रोगग्रसित पौधे तुरंत हटाएं। 
  • एन्थ्रेक्नोज - यह फंगल रोग नमी वाली परिस्थितियों में पनपता है। नमी को कम करने के लिए पौधों के चारों ओर अच्छी हवा का संचार सुनिश्चित करें।
  • जड़ सड़न - उचित जल निकासी सुनिश्चित करके जलभराव से बचें। 

केले की फसल को कैसे सुरक्षित रखें How to protect banana crop:

  • बरसात के मौसम में केले की फसल में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी के साथ सही स्थान का चयन करना चाहिए। 
  • रोपण के लिए ऊंची क्यारियां बनायें।
  • मानसूह के दौरान पानी के बहाव को रोकने के लिए उथली खाइयां या खांचे खोदे जाने चाहिए।
  • मानसून के दौरान भारी बारिश से पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • केले के पौधों के आधार के चारों ओर जैविक मल्च लगाना चाहिए, जिससे से मिट्टी की नमी बरकरार रहे और मिट्टी के कटाव को कम किया जा सके है। 
  • बारिश के मौसम में पोषक तत्वों की बड़ी खुराक के बजाय, विभाजित खुराक में उर्वरकों का उपयोग किया जाना चाहिए। 
  • केले के पौधो में ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग पोषक तत्वों के बहाव के जोखिम को कम करती है।

केले के पौधे में कीट और रोग प्रबंधन: 

  • मानसून का मौसम उच्च आर्द्रता और नमी के कारण कीटों और बीमारियों के विकास को बढ़ावा देता है।
  • यह रोग- पनामा विल्ट, सिगाटोका लीफ स्पॉट जैसे फंगल रोग और केला बैक्टीरियल विल्ट जैसे जीवाणु रोग शामिल हैं।
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