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Paddy Variety: धान की यह किस्म 115 दिन में हो जाती है तैयार, जो देगी कम लागत के साथ बंपर पैदावार, जाने khetivyapar पर

Paddy Variety: धान की यह किस्म 115 दिन में हो जाती है तैयार, जो देगी कम लागत के साथ बंपर पैदावार, जाने khetivyapar पर
धान की यह किस्म 115 दिन में हो जाती है तैयार

धान एक रोपाई वाली फसल है, जिसकी खेती के लिए 100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा और 25-27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान चाहिए होता है। बीएचयू और आईआरआरआई फिलीपींस के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस किस्म को विकसित किया है। इसका नाम मालवीय मनीला सिंचित धान-1 है। वैज्ञानिक इस किस्म के बीज उत्पादन की तैयारी कर रहे हैं। बीएचयू और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान से तैयार धान की यह किस्म मालवीय मनीला सिंचित धान-1 को आईसीएआर द्वारा मंजूरी मिल गई है। बीएचयू के प्रोफेसर डा. श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम ने मिलकर इस किस्म को तैयार किया है।

मालवीय मनीला सिंचित धान-1 किस्म की क्या ख़ासियत:

मालवीय मनीला सिंचित धान-1 किस्म की खासियत यह कि यह 115-118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसका औसत उत्पादन 55 से 64 कुंतल प्रति हेक्टेयर मिलता है। कम दिनों में अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम ने 15 सालों की मेहनत से इस किस्म को विकसित किया है। इसके दाने बहुत मोटे, लेकिन इसके चावल की लंबाई 7.0 मिलीमीटर और मोटाई 2.1 मिमी होती है। यह एक लंबा और पतले दाने वाला चावल है। इसके चावल के दाने बासमती चावल की तरह लगते हैं। आईसीएआर को अनुसार जब मालवीय मनीला सिंचित धान-1 किस्मों की मिलिंग होती है तो उसमें 63.5% खड़ा दाना मिलता है। यदि दूसरी किस्मों से इस किस्म की तुलना करें तो किसान सांभा मंसूरी धान लगा रहे हैं, जिसकी औसत उपज 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है। लेकिन यह किस्म 155 दिनों में तैयार होती है, ऐसे में किसानों का खेत अगले किस्म की  खेती के लिये 35 दिन पहले खाली हो जाता है। किसान दूसरी उपज आसानी से ले सकते हैं। 

इन राज्यों को होगा बीज उपलब्ध: खरीफ सीजन में उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा के किसानों के लिए मालवीय मनीला सिंचित धान-1 के बीज उपलब्ध होंगे। उत्तर प्रदेश के 11 केंद्रों पर इसका ट्रायल किया गया, यहाँ पर भी अच्छा रिजल्ट मिला है।

इन राज्यों में होता है चावल का सबसे ज्यादा उत्पादन: देश के तीन राज्यों में चावल का सबसे अधिक उत्पादन होता है, जिसमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब है। पश्चिम बंगाल सबसे अधिक चावल का उत्पादन करता है, जिसका कुल योगदान 13.62 फीसदी है। ये तीन राज्य भारत में 36 फीसदी चावल उत्पादन करते हैं। इसके अलावा तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में चावल की खेती बडे पैमाने पर करते हैं।

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