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Soyabean Variety: सोयाबीन की यह किस्में किसानों को देगी खूब मुनाफा, होगी बेहतर पैदावार

Soyabean Variety: सोयाबीन की यह किस्में किसानों को देगी खूब मुनाफा, होगी बेहतर पैदावार
सोयाबीन की यह किस्में किसानों को देगी खूब मुनाफा

सोयाबीन भारत की महत्वपूर्ण खरीफ फसल है। पूरे विश्व में भारत सोयाबीन उत्पादन में चौथे नंबर है। मध्यप्रदेश के मालवा जिले में सोयाबीन का उत्पादन सबसे ज्यादा किया जाता है। व्यापारिक तौर पर इसका उपयोग तेल के रूप में किया जाता है। भारत में सोयाबीन का उत्पादन देश के लगभग सभी राज्यों में किया जाता है। लेकिन मध्य प्रदेश महाराष्ट्र एवं राजस्थान ऐसे राज्य हैं जो अकेले 90 प्रतिशत सोयाबीन का उत्पादन करते हैं। इसका उत्पादन करके किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं।

सोयाबीन के लिये जलवायु और मिट्टी:

सोयाबीन की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह के मध्य 4-5 इंच वर्षा होने पर करें। उवर्रक प्रबंधन के अंतर्गत रसायनिक उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही बुवाई करें। सोयाबीन की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें। संतुलित रसायनिक उर्वरक प्रबंधन की मात्रा 20:60–80:40:20 नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर का प्रयोग करें। खेत में अंतिम जुताई से पूर्व डालकर मिट्टी में मिलायें। कम फैलने वाली प्रजातियों जैसे जे.एस. 93-05 जे.एस. और जे.एस. 95-60  किस्म की बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 40 से.मी. रखे। अधिक फैलने वाली किस्में जैसे जे.एस. 335, एन.आर.सी. 7, जे.एस. 97-52 के लिए 45 से.मी. की दूरी रखें। 

सोयाबीन की उन्नत किस्में:

  1. जे. एस-335 - सोयाबीन की इस किस्म के बीज 95 से 100 दिन में तैयार हो जाते है। इस बीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। इसके बीज का वजन 10 से 13 दाने का वजन 100 ग्राम होता है। इस बीज की उत्पादन क्षमता 25 – 30 किवंटल / हैक्टेयर होता है। अन्य बीज से ज्यादा है। 
  2. जे.एस. 93-05 - इस प्रजाति की बीज की उपज क्षमता 20 से 25 किवंटल प्रति हैक्टेयर है। यह करीब 95 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके बीज का वजन 13 का 100 ग्राम होता है। इसकी विशेषताएं अर्द्ध-परिमित वृद्धि किस्म, बैंगनी फूल. कम चटकने वाली फलियां होती है। 
  3. एन.आर.सी-7 - इस प्रजाति की बीज का उपज क्षमता 20 से 25 किवंटल प्रति हैक्टेयर है। यह 90 से 95 दिनों में तैयार हो जाता है। फलियां चटकती नही और तना-मक्खी के लिए सहनशील होती है।
  4. जे.एस. 95-60 - इस प्रजाति की बीज का उपज क्षमता 20 से 25 किवंटल प्रति हैक्टेयर है। यह 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाता है। अर्द्ध-बौनी किस्म, ऊंचाई 45-50 सेमी, बैंगनी फूल, फलियां नहीं चटकती है।
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