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Espalier Farming in Hindi: कम खर्च और ज्यादा कमाई, एस्पालियर प्रणाली से फलों की बढ़ती है पैदावार

Espalier Farming in Hindi: कम खर्च और ज्यादा कमाई, एस्पालियर प्रणाली से फलों की बढ़ती है पैदावार
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फलों की मांग बाजार में पूरे साल रहती है। फलों की अच्छी पैदावार के लिए किसान नई नई तकनीक अपनाते हैं। इन्हीं में से एक तकनीक है एस्पालियर प्रणाली। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रणाली से खेती करने से फलों के पौधे अच्छी तरह से बढ़ते हैं। इस प्रणाली में पौधे एक मजबूत संरचना के साथ उगाए जाते हैं। एस्पालियर प्रणाली का उपयोग करने से पौधों के विकास में कम खर्च आता है और यह किसानों को लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा, यह तकनीक कम स्थान वाली जगहों में भी उपयोगी है जहां पौधों के विकास के लिए कम स्थान उपलब्ध होता है। किसान इसका बंपर फायदा उठा सकते हैं।

इन फलों के लिए फायदेमंद:

किसानों के लिए यह प्रणाली काफी मददगार है। यह खास प्रणाली पौधों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करके फलों के उत्पादन में वृद्धि करती है। इस तकनीक में पौधों के चारों ओर धागे लगाकर या ट्रेलिस, फेंस, दीवार या अन्य संरचनाओं से उन्हें सही सहारा दिया जाता है। इस प्रणाली को आमतौर पर अमरूद, सेब, नाशपाती, शरीफा और संतरे जैसे फलों को उगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे फलों की पैदावार बढ़ जाती है।

कैसे करें इस्तेमाल:

किसानों को सबसे पहले खेत में फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी को तैयार करें। एस्पालियर प्रणाली का उपयोग करने के लिए उचित फसलों का चयन करना बहुत जरूरी है। फसल के आकार और ऊंचाई के अनुसार उचित फसलों का चयन करें। एस्पालियर प्रणाली के लिए धागे तैयार करने के लिए प्लास्टिक या मेटल के धागे का उपयोग कर सकते हैं। धागों को उचित दूरी पर खेत में लगाएं ताकि पौधों के बीच सही फासला रहे। अब पौधों को धागों से बांधें। धागों को पौधों के चारों ओर से घुमाते हुए बांधें। धागों को सही दबाव और अंतराल पर बांधें ताकि पौधों को सही सहारा मिले। पौधों के अनुसार सही समय पर धागों को ढीला करें या ढंग से बांधने की जरूरत न होने पर हटा दें। इससे उनका विकास अच्छे से होगा।

कम खर्च में ज्यादा फायदा:

विशेषज्ञों के मुताबिक एस्पालियर प्रणाली का उपयोग करने से पौधों के विकास में कम खर्च आता है और यह किसानों को लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा, यह तकनीक कम स्थान वाली जगहों में भी उपयोगी है जहां पौधों के विकास के लिए कम स्थान उपलब्ध होता है। इससे किसानों को बहुत लाभ होता है।

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