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Farmers of Rajasthan are Farming Wthout Water and Soil in Hindi: राजस्थान के किसान बिना पानी-मिट्टी कर रहे खेती, लाखों कमाने का आप भी जान लें तरीका

Farmers of Rajasthan are Farming Wthout Water and Soil in Hindi: राजस्थान के किसान बिना पानी-मिट्टी कर रहे खेती, लाखों कमाने का आप भी जान लें तरीका
Farmers of Rajasthan are Farming Wthout Water and Soil in Hindi: राजस्थान के किसान बिना पानी-मिट्टी कर रहे खेती, लाखों कमाने का आप भी जान लें तरीका

अगर आप भी ये सोचते हैं कि फसल या सब्जी सिर्फ मिट्टी और पानी की बदौलत ही उगाई जा सकती है, तो शायद आप गलत हैं। ऐसा संभव है। देश का राजस्थान राज्य इसका गवाह बन रहा है। दरअसल, राजस्थान के भीलवाड़ा के किसान इस समय ऐसी फसल उगा रहे हैं जिसमें पानी-मिट्टी की जरूरत ही नहीं होती। टेक्सटाइल सिटी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में इजरायली तकनीक की मदद से खेती हो रही है। देश के दूसरे इलाकों के किसान भी इस तकनीक की मदद से लाखों कमा सकते हैं।

ना मिट्टी, ना पानी फिर भी हो रही खेती:

राजस्थान को आमतौर पर सूखा और बंजर माना जाता है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यहां खेती-किसानी नहीं होती है। इस बीच भीलवाड़ा के किसानों ने खेती का नया तरीका अपनाकर कमाई का नया जरिया बनाया है। यहां के किसान खेती-किसानी के नए-नए तरीकों पर काम कर रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं। इसी में शामिल है इजरायली तकनीक जिसमें बिना मिट्टी और पानी के खेती की जाती है। 

25 से भी अधिक प्रकार की सब्जियां उगाकर कर रहे मोटी कमाई: राजस्थान के भीलवाड़ा के किसानों ने जबसे इजरायली तकनीक अपनाई है तबसे उन्हें फायदा हो रहा है। इस तकनीक की मदद से किसान 25 से भी ज्यादा किस्म की सब्जियां और फल उगा रहे हैं। इनमें से अधिकांश फल और सब्जी दूसरे राज्यों में बेचने के लिए भेजी जा रही हैं। इन सब्जियों और फलों को दिल्ली, मुंबई और गुजरात जैसे बड़े शहरों में बेचकर बड़ा मुनाफा कमाया जा रहा है। इस तकनीक का एक फायदा यह भी है कि इससे बिना सीजन के भी फल और सब्जी उगाई जाती हैं।  

क्या है ये खास तकनीक? आमतौर पर फसलों को मिट्टी में पानी की मदद से उगाया जाता है। लेकिन इजरायली तकनीक की मदद से खेती में ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है। इस खेती में फसल को ऑक्सीजन से उगाया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए पहले एक कृषि फार्म में एक स्टैंड बनाया जाता है। इसे बनाने का तरीका ये होता है कि इसमें पानी लगातार बहता रहे। इसके जरिये सब्जी और फलों को जरूरी मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर और आयरन जैसे पोषक तत्व मिलते रहते हैं।  बचता है 80 फीसदी पानी इस तकनीक की मदद से खेती करने में 80 फीसदी तक पानी की बचत होती है। हालांकि इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि पौधों वाली जगह पर तापमान 15 से 32 डिग्री सेल्सियस बना रहे। इसके साथ ही इसमें मिट्टी का इस्तेमाल ना करके, नारियल के भूसे से बने कोकोपीट का प्रयोग होता है।

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