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त्योहारी सीजन में खबू डिमांड के कारण होगा झारखंड किसानों का अच्छा मुनाफा

त्योहारी सीजन में खबू डिमांड के कारण होगा झारखंड किसानों का अच्छा मुनाफा
त्योहारी सीजन में खबू डिमांड के कारण होगा झारखंड किसानों का अच्छा मुनाफा

झारखंड के खेत इस बार फूलों से लहलहा रहे झारखंड के 18 जिलों के लाखों किसान इस साल मॉनसून के बादलों के कम बरसने से भले ही मायूस हैं, लेकिन इन्‍हीं जिलों में कुछ 4 हजार किसान ऐसे हैं, जिनके खेत फूलों से लहलहा रहे हैं। इन किसानों ने खरीफ की पारंपरिक फसलों को छोड़ फूलों की खेती करने की पूरी तैयारी कर ली थी। इन किसानों को अब अच्‍छे मुनाफे की उम्‍मीद है, क्‍योंकि दशहरे के बाद त्‍योहारों की पूरी श्रंखला है, जैसे की दीपावली, भाईदूज, गोवर्धन पूजा, छठ, क्रिसमस और न्यू ईयर. इस दौरान फूलों की भारी डिमांड रहेगी। दरअसल, झारखंड के पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, खूंटी, हजारीबाग, बोकारो, पूर्वी और पश्चिम सिंहभूम के दर्जनों गांवों में बड़ी तादात में किसानों ने इस बार फूलों की खेती की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड के खंभाटांड़ की महिला किसान अंजनी तिर्की ने गेंदा फूल की खेती शुरू की। उन्होंने झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) के महिला समूह से 10 हजार रुपए का कर्ज लिया और अफ्रीकन वैरायटी के गेंदे के फूल लगाए। खेतों में लगभग 8,000 पौधे उनकी तरफ से लगाए गए। वह अभी तक तीन बार फूलों की तुड़ाई कर चुकी हैं और लागत वसूल हो चुकी है। सीजन में कम से कम 10 बार फूलों की तुड़ाई होगी। उनके अनुमान के अनुसार उन्‍हें तीस से चालीस हजार रुपए की कमाई होगी। पिछले आठ-दस वर्षों से ये इलाके फूलों की खुशबू से महक रहे हैं। इस साल पूरे जिले में तीन सौ एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में गेंदा फूल की खेती हुई है। खूंटी, मुरहू और अड़की प्रखंड के करीब आठ सौ किसानों के बीच इस साल विभिन्न संस्थाओं और कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से गेंदा पूल के 15 लाख पौधों का वितरण किया गया है।

खूंटी में फूलों की खेती सबसे पहले हितूटोला की दो महिलाओं ने 2004 में शुरू की थी। उन्होंने लगभग दो एकड़ क्षेत्र में खेती की और इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। नक्सली आतंक का प्रभाव जैसे-जैसे कम होता गया, धीरे-धीरे बड़ी संख्या में महिलाएं फूलों की खेती के लिए प्रेरित हुईं। झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और स्वयंसेवी संस्था प्रदान ने इसमें इनकी खूब मदद की। पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड के कंकारी, बसरिया कला, सलतुआ, बंदुआ आदि पंचायतों में इस साल 130 किसानों ने गेंदा, जरबेरा और ग्लैडियोलस के फूलों की खेती की है। यहां भी फूलों की खेती की कमान महिलाओं ने ही संभाली है। इसी तरह लातेहार जिले के चंदवा में राजेंद्र उरांव, निर्मला देवी, सगुना कुमारी सहित कई किसानों के खेतों में फूल लहलहा रहे हैं। इन सबको त्योहारी सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद है।

गढ़वा जिले के कृषि सह उद्यान पदाधिकारी शिवशंकर प्रसाद बताते हैं कि जिले में 175 किसानों ने गेंदा फूल, 74 ने ग्लैडियोलस और 60 किसानों ने गुलाब फूल की खेती की है। राज्य बागवानी मिशन योजना के तहत इन सभी को फूलों के पौधे उपलब्ध कराए गए थे। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर-जनवरी तक किसान कुल लागत का पांच से आठ गुणा तक कमाई कर लेंगे। इसी जिले के मेराल प्रखंड के वनखेता निवासी तीन भाइयों रजनीकांत, रवि और मिथिलेश कुमार ने पिछले साल 50 डिसमिल क्षेत्र में गेंदा फूल की खेती की थी और लगभग 70 हजार रुपए की कमाई की थी। जामताड़ा के मोहड़ा गांव निवासी अचिंत विश्वास ने दो बीघा जमीन में लगभग दस हजार रुपए की लागत से गेंदा फूल के पौधे लगाए और उन्हें बेहतरीन रिटर्न मिला। दिसंबर तक वह दूसरी बार फूलों के पौधे लगाएंगे और उन्हें उम्मीद है कि वह एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेंगे। झारखंड के रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो जैसे शहरों में त्योहारी और लगन के सीजन में फूलों की जबर्दस्त डिमांड रहती है।

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