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Maize New Varieties: 109 किस्में, मक्का की 6 नई उन्नत किस्में, किसानों के लिए उच्च उपज और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता

Maize New Varieties: 109 किस्में, मक्का की 6 नई उन्नत किस्में, किसानों के लिए उच्च उपज और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता
मक्का की 6 नई किस्मों के साथ खेती करें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मक्का की 6 नई उन्नत किस्में लॉन्च की हैं, जो विशेष रूप से उच्च उपज और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। ये नई किस्में भारतीय किसानों को कठिन मौसम के लिए उच्च उपज देगी। आइए जानते हैं मक्का की इन किस्मों की खासियत उपज और मिलने वाले लाभ के बारे में।

आज के समय में फसलों में कई तरह के रोग लग जाते है जो एक बड़ी समस्या है, जिसका सीधा प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ता है। विभिन्न रासायनिक खाद के चलते किसानों को फसल उत्पादन में कमी, और आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता  है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने उच्च उपज और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली मक्का की 6 नई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जिन्हें 11 अगस्त 2024 को पूसा, दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रिलीज किया गया। ये किस्में देश के किसानों के लिए अच्छी उपज देती हैं। आइए जानते हैं इन नई किस्मों के बारे में।

मक्का की इन किस्मों की खासियत और उपज:

  1. पुसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड - 1 (APCH 2) – मक्का की यह किस्म उच्च उपज और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली होती है, जिसे ICAR-केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, , हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड (मैदानी क्षेत्र), पश्चिमी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म सिंचित रबी मौसम के लिए उपयुक्त है। इसमें 46.04 क्वींटल/हेक्टेयर (NWPZ) और 47.17 क्वींटल/हेक्टेयर (PZ) की उच्च उपज मिलती है। यह 120 दिन में (NWPZ) और 102 दिन (PZ) में तैयार हो जाती है। यह चारकोल रोट के प्रति प्रतिरोधी से लेकर मध्यम प्रतिरोधी है।
  2. पुसा बायोफोर्टिफाइड मक्का हाइब्रिड -4 (APH4)- मक्का की यह किस्म आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,  पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड (मैदानी क्षेत्र), पश्चिमी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है। इसमें 84.33 क्वींटल/हेक्टेयर (NWPZ), 71.13 क्वींटल/हेक्टेयर (PZ) और 56.58 क्वींटल/हेक्टेयर (CWZ) की उपज मिलती है। इसकी परिपक्वता 79.8 दिन (NWPZ), 93.9 दिन (PZ) और 86.4 दिन (CWZ) में होती है। इसमें प्रोटोटाइप-विटामिन A, लाइसिन और ट्रिप्टोफेन की उच्च मात्रा होती है। यह MLB, BLSB और TLB के प्रति प्रतिरोधी से लेकर मध्यम प्रतिरोधी है।
  3. पुसा HM4 मेल स्टेराइल बेबी कॉर्न-2 (ABSH4-2)- मक्का की यह किस्म आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान राज्य द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म सिंचित परिस्थितियों में खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है। इसमें 19.56 क्वींटल/हेक्टेयर (NEPZ), 14.07 क्वींटल/हेक्टेयर (PZ) और 16.03 क्वींटल/हेक्टेयर (CWZ) की उपज मिलती है। इसकी परिपक्वता 53 दिनों में होती है और यह 100% मेल स्टेराइलिटी के साथ कोई एंथर उत्सर्जन नहीं करता है। यह चारकोल रोट के प्रति प्रतिरोधी से लेकर मध्यम प्रतिरोधी है।
  4. आईएमएच 230 आईएमएचएसबी 20 आर-6- मक्का की यह किस्म आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, पंजाब द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल राज्य ने विकसित किया है। यह किस्म सिंचित रबी मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 92.36 क्वींटल/हेक्टेयर है। यह किस्म 145.2 दिनों में तैयार हो जाती है। यह जैविक तनावों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जैसे MLB, ChR, और TLB, और चीला पार्टेलस, फॉल आर्मीवॉर्म के प्रति मध्यम सहनशीलता रखती है।
  5. आईएमएच 231 आईएमएचएसबी 20 के-10- मक्का की यह किस्म आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, पंजाब द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म सिंचित खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 70.28 क्वींटल/हेक्टेयर है। यह किस्म 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके अलावा, यह TLB, MLB के प्रति मध्यम प्रतिरोधी और FSR के प्रति प्रतिरोधी है।
  6. पुसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड- 2 (APCH 3)- मक्का की यह किस्म आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु राज्य द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म सिंचित खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 70.28 क्वींटल/हेक्टेयर है। यह किस्म 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके अलावा, यह TLB, MLB के प्रति मध्यम प्रतिरोधी और FSR के प्रति प्रतिरोधी है। यह किस्म सिंचित रबी मौसम के लिए उपयुक्त होती है और इसकी उपज 45.13 क्वींटल/हेक्टेयर है। यह किस्म लगभग 102 दिनों में तैयार हो जाती है और यह TLB के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
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